सोने की शुद्धता को मापने के लिए “कैरेट (Karat)” शब्द का प्रयोग किया जाता है। शुद्ध सोना 24 कैरेट होता है, जिसका अर्थ है कि उसमें 100% सोना होता है और कोई अन्य धातु मिश्रित नहीं होती। कैरेट प्रणाली यह बताती है कि सोने के आभूषण या वस्तु में कितना शुद्ध सोना है और कितनी अन्य धातुएं मिली हुई हैं।

सोना कितने कैरेट का होता है?
सोना विभिन्न कैरेट में उपलब्ध होता है, जैसे:
कैरेट | शुद्धता | प्रतिशत में शुद्ध सोना |
---|---|---|
24K | सबसे शुद्ध | 99.9% |
22K | सामान्यतः आभूषणों के लिए | 91.6% |
20K | कम प्रचलित | 83.3% |
18K | टिकाऊ और डिज़ाइन फ्रेंडली | 75% |
14K | अधिक टिकाऊ, कम कीमत | 58.5% |
10K | बजट विकल्प | 41.7% |
कैरेट 24 के पैमाने पर सोने की शुद्धता को दर्शाता है, जहाँ 24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध माना जाता है।
- 24 कैरेट सोना (24K Gold): यह सोने का सबसे शुद्ध रूप है। यह बहुत नरम होता है और आसानी से मुड़ या खरोंच सकता है, इसलिए आमतौर पर इसका उपयोग आभूषण बनाने के लिए नहीं किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से सोने के सिक्के, सोने की ईंटें (bars) और निवेश के उद्देश्य से किया जाता है।
- 22 कैरेट सोना (22K Gold): यह भारत में आभूषण बनाने के लिए सबसे लोकप्रिय कैरेट है। इसमें थोड़ी मात्रा में तांबा, चांदी या जिंक जैसी अन्य धातुएं मिलाई जाती हैं ताकि इसे कठोरता और स्थायित्व मिल सके, जिससे यह गहनों के लिए उपयुक्त हो जाता है।
- 18 कैरेट सोना (18K Gold): यह हीरे जड़े आभूषणों और अधिक जटिल डिजाइन वाले गहनों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। यह 22 कैरेट की तुलना में अधिक टिकाऊ होता है और इसमें विभिन्न रंग (जैसे सफेद सोना या रोज़ गोल्ड) बनाने के लिए अन्य धातुओं को आसानी से मिलाया जा सकता है।
- 14 कैरेट सोना (14K Gold): यह पश्चिमी देशों में रोजमर्रा के आभूषणों के लिए काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह बहुत टिकाऊ और किफायती होता है।
- 9 कैरेट सोना (9K Gold): इसे “375 गोल्ड” भी कहा जाता है। यह सबसे कम शुद्धता वाला सोना होता है और सबसे अधिक टिकाऊ भी। यह आमतौर पर बजट-फ्रेंडली आभूषणों में इस्तेमाल होता है।
कैरेट चेक करने के मापक (तरीके)
सोने की शुद्धता जांचने के कई तरीके हैं, जिनमें कुछ आप घर पर कर सकते हैं और कुछ के लिए विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है:
A. विश्वसनीय और पेशेवर तरीके (Reliable and Professional Methods):
- बीआईएस हॉलमार्क (BIS Hallmark):
- भारत में सोने की शुद्धता प्रमाणित करने का यह सबसे विश्वसनीय तरीका है। बीआईएस (Bureau of Indian Standards) द्वारा हॉलमार्क किए गए सोने पर कुछ निशान होते हैं:
- BIS लोगो (त्रिभुज आकार): यह दर्शाता है कि सोने की जांच बीआईएस मान्यता प्राप्त लैब में की गई है।
- कैरेट मान: जैसे 24K, 22K (916), 18K (750), 14K (585)।
- हॉलमार्किंग केंद्र का निशान: जिस केंद्र पर हॉलमार्किंग की गई है उसका लोगो।
- ज्वेलर का पहचान चिह्न: ज्वेलर का अपना लोगो।
- HUID (Hallmark Unique Identification) नंबर: यह छह अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड होता है जो प्रत्येक हॉलमार्क वाले आभूषण के लिए अद्वितीय होता है। यह आभूषण को बनाने वाले और हॉलमार्किंग केंद्र को ट्रैक करने में मदद करता है। आप बीआईएस केयर ऐप पर HUID नंबर डालकर शुद्धता की जांच कर सकते हैं।
- सोना खरीदते समय हमेशा हॉलमार्क वाले आभूषण ही खरीदें और शुद्धता प्रमाणपत्र (Purity Certificate) लेना न भूलें।
- भारत में सोने की शुद्धता प्रमाणित करने का यह सबसे विश्वसनीय तरीका है। बीआईएस (Bureau of Indian Standards) द्वारा हॉलमार्क किए गए सोने पर कुछ निशान होते हैं:
- X-Ray Fluorescence (XRF) टेस्टिंग:
- यह सोने की शुद्धता जांचने का सबसे सटीक और गैर-विनाशकारी तरीका है।
- XRF मशीनें सोने पर एक्स-रे डालती हैं, जिससे परमाणु उत्तेजित होते हैं और फ्लोरोसेंट विकिरण उत्सर्जित करते हैं। इस विकिरण का विश्लेषण करके सोने में मौजूद विभिन्न तत्वों की संरचना और प्रतिशत का पता लगाया जाता है।
- यह आमतौर पर बड़ी ज्वेलरी शॉप्स या हॉलमार्किंग सेंटर्स पर उपलब्ध होता है।
- एसिड टेस्ट (Nitric Acid Test):
- यह एक आम तरीका है जो जौहरी इस्तेमाल करते हैं।
- सोने के एक छोटे से हिस्से को एक टेस्टिंग स्टोन (टचस्टोन) पर रगड़ा जाता है, जिससे एक लकीर बनती है। फिर इस लकीर पर नाइट्रिक एसिड की विभिन्न सांद्रता (concentrations) वाली बूंदें डाली जाती हैं।
- सोने की शुद्धता के आधार पर एसिड की प्रतिक्रिया अलग होती है (जैसे रंग बदलना या घुलना नहीं)। यह तरीका थोड़ी विशेषज्ञता मांगता है और यह सोने की सतह पर छोटे निशान छोड़ सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड टेस्टर (Electronic Gold Tester):
- ये पोर्टेबल डिवाइस होते हैं जो सोने की शुद्धता का आकलन करने के लिए उसकी विद्युत चालकता (electrical conductivity) को मापते हैं।
- यह त्वरित परिणाम देते हैं और उपयोग में आसान होते हैं।
- फायर एसे (Fire Assay) / क्यूपेलेशन (Cupellation):
- यह सोने की शुद्धता जांचने का सबसे पुराना और सबसे सटीक तरीका है, लेकिन यह विनाशकारी होता है (सोने का एक छोटा सा टुकड़ा पिघलाना पड़ता है)।
- यह आमतौर पर रिफाइनरियों और बड़े लैब में इस्तेमाल होता है।
B. घर पर जांचने के कुछ सामान्य (लेकिन कम सटीक) तरीके:
- चुंबक परीक्षण (Magnet Test):
- शुद्ध सोना अचुंबकीय होता है (चुंबक से आकर्षित नहीं होता)।
- यदि आपका सोने का आभूषण चुंबक की ओर आकर्षित होता है, तो इसमें निश्चित रूप से अन्य धातुएं (जैसे लोहा, निकल) मिली हुई हैं और यह शुद्ध नहीं है।
- सीमा: यदि आभूषण में केवल गैर-चुंबकीय धातुएं (जैसे तांबा, चांदी) मिली हों, तो यह परीक्षण सफल नहीं होगा।
- फ्लोट टेस्ट (Float Test – पानी में तैरने का परीक्षण):
- सोना एक बहुत घना धातु है और पानी में हमेशा डूब जाएगा।
- एक गिलास पानी में सोने की वस्तु डालें। यदि वह तैरती है या ऊपर मंडराती है, तो वह असली सोना नहीं है।
- सीमा: यह केवल बहुत ही हल्के नकली सोने की पहचान कर सकता है। अगर कोई भारी धातु मिली हुई है तो वह भी डूब जाएगी।
- सिरेमिक स्क्रैच टेस्ट (Ceramic Scratch Test):
- एक बिना शीशे वाली सिरेमिक प्लेट या टाइल लें। सोने की वस्तु को उस पर धीरे से रगड़ें।
- यदि लकीर सुनहरे रंग की है, तो सोना शुद्ध हो सकता है। यदि लकीर काली या कोई अन्य रंग की है, तो वह सोना नहीं है।
- सीमा: यह परीक्षण केवल सोने की सतह की जांच करता है और हमेशा सटीक नहीं होता।
हमेशा सलाह दी जाती है कि सोने की शुद्धता के लिए किसी प्रमाणित जौहरी या हॉलमार्किंग केंद्र की सहायता लें।